हलचल

ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ जर्नलिज़्म का समापन

प्रेम को किसी भी भाषा में बताने के लिए शब्दों की जरूरत नहीं होती, हमारे इमोशंस हमारी फीलिंग्स ही प्रेम को बता देती है और अगर संसार को बांधे रखना है तो उसे सिर्फ प्रेम से ही बांधा जा सकता है यह कहना था मंगोलिया के राजदूत गोन्चिंग गैंबोल्ड का जो मारवाह स्टूडियो में चल रहे तीन दिवसीय ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ जर्नलिस्म की क्लोजिंग सेरेमनी के अवसर पर पहुंचे, उन्होंने कहा की वैलेंटाइन्स डे एक दिन का नहीं बल्कि हर दिन होना चाहिए क्योंकि प्रेम कभी खत्म नहीं होता चाहे वो भाई बहन का हो, माता पिता के साथ हो, प्रेमी-प्रेमिका का हो या फिर दो देशों का। इस अवसर पर फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री, लेखक रमेश मिश्र, अनूप बॉस, ग्लोबल योग एलायन्स के निदेशक डॉ. गोपाल, फिल्म निर्देशक अशोक त्यागी और संदीप मारवाह उपस्थित हुए।

द ताशकंद फाइल, बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम, हेट स्टोरी जैसी कई हिट फिल्मों के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि फिल्म जर्नलिस्ट होना एक अलग बात है और पॉलिटिक्ल जर्नलिस्ट एक अलग बात है, फिल्म जर्नलिस्ट होने के लिए आपको तकनीकी ज्ञान होना चाहिए और पॉलिटिक्ल के लिए आपको पॉलिटिक्स की तीक्ष्ण दृष्टि होना और लेखन का कमाल आना चाहिए, यहाँ जर्नलिस्म के छात्रों से में यह कहना चाहता हूँ की मसाला स्टोरी लिखे या क्राइम पर सच्चाई का साथ न छोड़े। संदीप मारवाह ने कहा की तीन दिन के फेस्टिवल में हमने बहुत कुछ जाना, सीखा और समझा है, मैं आप सब गुणी लोगों का धन्यवाद देता हूँ की आपने अपने बहुमूल्य समय से कुछ समय आने वाली पीढ़ी को वक्त दिया जिसे यह अपने जीवन में कहीं न कहीं जरूर प्रयोग करेंगे। इन तीन दिनों में हमने कई किताबों का विमोचन किया और कई प्रदर्शनियो का आयोजन किया। इस अवसर पर रमेश मिश्र की पुस्तक ‘प्रताप की संघर्ष गाथा – एक अधूरा संग्राम’ का विमोचन किया गया। इस तरह के समारोह में ज्ञान की गंगा जो डुपकी लगा लेता है वो तर जाता है, यहाँ न सिर्फ छात्र भी सीखते है बल्कि हम जैसे लोग भी बहुत कुछ सीख जाते है जिससे हमे भी एक नई ऊर्जा महसूस होती है, यह कहना था डॉ. गोपाल का। इस अवसर पर सुनील डैंग, के. जी. सुरेश भी उवस्थित हुए। कार्यक्रम के अंत में पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।

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