हलचल

‘आपातकाल सेनानियों के हितों और अधिकारों की अनदेखी न करे सरकार’ : लोकतंत्र सेनानी

दिल्ली। ‘अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त संघर्ष समिति’ ने बुधवार को दिल्ली के राज घाट पर एक ‘मूक सत्याग्रह’ का आयोजन किया। देशभर से आए सेनानियों ने शांतिपूर्ण ढंग से अपनी माँग रखे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए दमनकारी आपातकाल के दौरान लंबे समय तक जेल में बंद रहे स्वयंसेवकों और सेनानियों में काफी रोष देखने को मिला।
स्वागत समिति के अध्यक्ष विजय कुमार शर्मा ने कहा, ष्विभिन्न सरकारों ने सेनानियों के हितों की रक्षा के लिए कई वादे किये। लेकिन एक भी पूरे नहीं हुए। सिर्फ मुलायम सिंह यादव की सरकार ने हमारी सुनी और कई सुविधाएँ दीं। आज हमारी ये माँग है कि सरकार सेनानियों को उचित मुआवजा दे और उनका सम्मान करे।’
समिति के अध्यक्ष ने आगे कहा कि, ‘हमारी चार प्रमुख माँगें हैं। सबसे पहले सांसदों और विधायकों को दी जाने वाली वेतनभत्ता और सुविधाओं पर सरकार एक श्वेत पत्र लाये। दूसरी, 1980 और 2017-20 की योजनाओं में ‘स्वंतत्र सैनिक सम्मान योजना’ पर खर्च किए गए हजार करोड़ के फंड का हिसाब किया जाए। सांसदों और विधायकों द्वारा पेंशन और सुविधाओं की स्व-घोषणा पर रोक लगाई जाए। उन्हें कोई विशेष विशेषाधिकार की आवश्यकता क्यों है? चैथी मांग राज्य सरकारों द्वारा यदा कदा लोकतन्त्र सेनानियों के पेंशन को बंद करने से रोकने की है। सरकारों ने सेनानियों के हितों को नजरअंदाज किया है।”
आजमगढ़ से आये सेनानी प्रेम बिहारी राय, 70, ने आपातकाल की कड़वी यादों को साझा करते हुए कहा, ‘छात्र जीवन में में ही मुझे उठाकर जेल में डाल दिया गया था। मैं 21 दिन तक जेल में रहा। इंदिरा सरकार ने तानाशाही से सबको उठाकर बंद कर दिया था। आज उन सेनानियों की हक और आवाज दबायी जा रही है। मोदी भी सरकार को हमारा सम्मान करना चाहिए। खुद मोदी भी आपातकाल की कालरात्रि के गवाह थे।’
समिति ने सरकार से उन पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग करते हुए कहा कि जो भयावह आपातकाल अवधि के दौरान बर्बरता में संलिप्त थे। कई सेनानी आपातकाल की आपबीती सुनाते हुए भावुक हो गए। एक लाख से अधिक स्वयंसेवकों को जेल में डाल दिया गया था और तत्कालीन निरंकुश सरकार के हाथों आपातकाल के दौरान यातना और अमानवीय स्थिति का सामना करना पड़ा था। समिति के सदस्य बहुत लंबे समय से अपनी मांगों और चिंता को उठाते रहे हैं। उनका मानना है कि इस देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने को बचाने में जिन सेनानियों और नेताओं ने अपने प्राणों की आहुति दी, उन्हें भुला देना कृतघ्न, अमानवीय और अशोभनीय कार्य है।
स्वागत समिति के दिल्ली अध्यक्ष विजय शर्मा {६५, जो आपातकाल के दौरान जेल गए}, राकेश जैन, सचिव और ओम शक्ति जी बाबू, महासचिव ने शांति मार्च का संचालन किया। सत्याग्रह मार्च में हजारों सेनानी और अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त संघर्ष समिति के स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। समिति द्वारा गुरुवार को भी जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल किया जाएगा और साथ-साथ वो सांसदों के समक्ष अपनी बात भी रखेंगे। समिति ने सरकार से बिल लाने की भी गुहार की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *