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खुद से प्रेम करना ही खुदा से प्रेम करना है इसलिए अब आत्मा का श्रृंगार होना चाहिए : संदीप मारवाह

नोएडा। प्रेम, शांति व् एकता की आज विश्व को बहुत जरूरत है जिसको आध्यात्मिकता के द्वारा ही लाया जा सकता है, इस विषय पर मारवाह स्टूडियो में सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें सभी धर्मों के धर्मगुरुओं ने अपने अपने विचार रखे जिसमे देश में एकता व् शांति को कैसे लाया जाए क्योंकि हर इंसान उस ईश्वर की संतान है और ईश्वर ने हमें पूरा शुद्ध जीवन दिया है किन्तु हम उसको कैसे जीते है यह हम पर निर्भर करता है। आयोजन की अध्यक्षता करते हुए प्रो. संदीप मारवाह ने आध्यात्मिकता के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि हर धर्म हमें मानवता सिखाता है हम इंसान तो क्या पेड़-पौधों, जानवरों में से भी यदि भाव को अलग कर देते है तो वह निर्जीव हो जाते है इसलिए योग ध्यान और प्रेम को जीवन का आधार बनाये। इस अवसर पर जगत गुरु दिलीप जी महाराज, आचार्य लोकेश मुनि, स्वामी रुद्रानंद जी महाराज, शंकराचार्य ओंकारानंद सरस्वती, योगी आशुतोष, चेयरमैन बंगला साहिब गुरुद्वारा परमजीत सिंह, सत्येंद्र नारायण, आस्था माँ व ब्रह्मा कुमार सुशांत जो की नेशनल कोऑर्डिनेटर है ब्रह्माकुमारी ऑर्गेनाइजेशन के व कई दिग्गज गुरु भी उपास्थि हुए लोकेश मुनि ने कहा कि इस जीवन में शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक, भावनात्मक विकास होना जरूरी है जो केवल अध्यात्म से आता है। आचार्य दिलीप ने कहा खुद से खुद की मुलाकात होना यानि खुदा से मुलाकात होने जैसा है, शंकराचार्य ओंकार आनंद सरस्वती ने कहा हम हर समय अपने धर्म का अनुसरण करते है चाहे वो भोजन करना हो या फिर सांस लेना भी धर्म है। इस्कॉन मंदिर के आचार्य दिलीप ने कहा कि प्रेम ही ईश्वर है, ईश्वर ही प्रेम है अगर भारतीय होने की कीमत जानना चाहते हो तो एक बार विदेश जाओ और वहाँ देखो भारतीय होने पर गर्व क्या होता है। डॉ गोपाला ने कहा कि सत्य असत्य, शांति, हिंसा के भेद को नही जान पाएंगे तो हम आध्यत्म को नही समझ पायेंगे। योगी आशुतोष जी महाराज जो कि 2016 से जेलों को आश्रम का रूप दे रहे है साथ ही अपराधियों को आध्यत्म से जोड़कर उनके अंदर से शैतान को धीरे खत्म कर रहे है उनका कहना है कि हर काम हम ध्यान से करते है लेकिन ध्यान को ध्यान से नही करते मैं योग की बात कर रहा हूँ। विजेंद्र नंदन दास जो कि इस्कॉन मंदिर से जुड़े है उन्होंने कहा की हमने देशभर की जेलों में गीता के उपदेशों को भौतिक जीवन से जोड़कर अपराधियों को सुधारने की कोशिश की है व् हम लाखो गीता वितरित भी कर चुके है. बहाई धर्म प्रचारक एम त्रिपाठी ने कहा ईश्वर हमसे प्रेम करता है इसलिए उसने हमारी रचना की है इसलिये हमे ईश्वर का ओर एक दूसरे का सम्मान और प्रेम करना चाहिये। यहूदी धर्म के प्रचारक ने कहा कि जिस माँ ने आपको जन्म दिया है और जिस देश में आप पैदा हुए है उसका सम्मान करना आपका दायित्व हो जाना चाहिए, जिस्म का श्रृंगार बहुत हो चुका अब आत्मा का श्रृंगार होना चाहिए।

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