बारिश का सीजन होता है बीमारियों का घर, इससे बचें
-सुनील कुमार महला
फ्रीलांस राइटर,कालमिस्ट व युवा साहित्यकार (उत्तराखंड)
देश के हर भाग में इस बार खूब बारिश हुई है और बारिश का यह क्रम अभी भी थमा नहीं है। मैदानी भागों में रह-रहकर तो पहाड़ी क्षेत्रों में तो अभी भी लगातार बारिश देखने को मिल रही है। वैसे बारिश का मौसम हर किसी को अच्छा व सुहाना लगता है लेकिन बारिश के मौसम में बीमारियां भी बहुत फैलती हैं। अतः बारिश के मौसम से हमें विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है। बरसात के मौसम में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, सर्दी, खांसी, उल्टी, दस्त, वायरल बुखार, फंगल इन्फेक्शन, हेपेटाइटिस और टायफाइड जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। डायरिया भी बारिश के मौसम में एक आम समस्या है।
बरसात का मौसम दस्त जैसे इन्फेक्शन का कारण भी आसानी से बनता है। इस मौसम में नमी और उमस के कारण खाना आसानी से खराब हो जाता है, जिसकी वजह से किसी का भी पेट खराब कभी भी हो सकता है। साथ ही इन्फेक्शन्स बढ़ जाने की वजह से भी दस्त का खतरा बढ़ जाता है। बारिश के मौसम में सड़कों, छतों और घरों के आसपास बनी नालियों में गंदा व प्रदूषित पानी जमा हो जाता है जिससे कई तरह की बीमारियां फैलना शुरू हो जाती हैं। इसमें कोई शक या दोराय नहीं है बरसात गर्मी से राहत देती है और सभी बारिश होने पर खुश होते हैं लेकिन इस दौरान सावधानी न बरती जाए तो कोई भी कभी भी बीमार हो सकता है। बारिश के मौसम को यदि बीमारियों का मौसम कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। दरअसल, बारिश में उमस और नमी बढ़ने से चर्म रोग जन्म ले सकते हैं। इन दिनों आई फ्लू भी अपने परवान पर है। आई फ्लू बहुत तेजी से फैलता है और परिवार के सभी सदस्यों को अपना शिकार बना सकता है, इसलिए पर्सनल हाइजीन बहुत ही महत्वपूर्ण व जरूरी हो जाता है। बारिश के दिनों में हमें बाहर का खाना खाने से परहेज़ करना चाहिए और संतुलित व हल्का भोजन ग्रहण करना चाहिए। बारिश के दिनों में जगह-जगह पानी का जमाव मच्छरों की संख्या बढ़ने का मौका देता है। मच्छर के काटने से डेंगू, मलेरिया आदि जैसी बीमारियां गंभीर रूप भी ले सकती हैं। मलेरिया में आमतौर पर बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यदि हमें भी ऐसे ही किन्हीं लक्षणों का अनुभव होता है तो हमें यह चाहिए कि हम बिना इंतजार किए डॉक्टर से मिलकर जांच करवाएं और दवा पानी लें। इसी प्रकार से डेंगू एडीज एजिप्ट प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलता है। वहीं इसमें बुखार, रैशेज, सिरदर्द और प्लेटलेट काउंट में कमी होने जैसे लक्षण नजर आते हैं। इसलिए डेंगू से बचाव बहुत जरूरी है। इसी प्रकार से चिकनगुनिया भी मच्छरों से होने वाली बीमारी है, जो रुके हुए पानी में पनपते हैं। चिकनगुनिया टाइगर एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर के कारण फैलता है। बारिश या मानसून के समय के तापमान (टेंपरेचर) और ह्यूमिडिटी(आर्द्रता) में कीटाणु अधिक सक्रिय हो जाते हैं और विभिन्न प्रकार के मॉनसून संक्रमण होने की संभावना भी बढ़ जाती है। बारिश हो या कोई भी मौसम बाहर से घर आने पर हमें अपने हाथ-पैर और मुंह अच्छी तरह से साबुन से धोने चाहिए ताकि कीटाणुओं से बचा जा सके। दूषित खाने, दूषित पानी से टायफाइड हो सकता है। इसके लक्षणों में लगातार तेज बुखार आना, कमजोरी महसूस होना, पेट में दर्द और भूख न लगने के लक्षण परेशान करते हैं, जिससे वजन भी घटने लगता है।
जानकारी देना चाहूंगा कि उमस बढ़ने और तापमान में बदलाव आने से इन्फ्लूएंजा के मामले भी बढ़ने लगते हैं। डाक्टरों के अनुसार इसमें बुखार, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, नाक बंद होना, सूखी और लगातार खांसी होने जैसे लक्षण दिखते हैं। इसकी वजह से निमोनिया, अस्थमा, डायबिटीज और दिल की बीमारी जैसे लक्षण भी दिखते हैं।मानसून के मौसम में सबसे ज्यादा खतरा वायरल इंफेक्शन का होता है, क्योंकि ये व्यापक स्तर पर फैल जाता है। इस प्रकार के इंफेक्शन में फंगल इंफेक्शन, बैक्टीरियल इंफेक्शन, पेट का इंफेक्शन और पैरों का इंफेक्शन शामिल होता है। बहुत से ऐसे संक्रमण होते हैं जो कि सीधा हमारे शरीर की इम्यूनिटी(रोग प्रतिरोधक क्षमता) पर हमला करते हैं जिससे शरीर काफी कमजोर हो जाता है और दूसरी बीमारियां हमला करने में आसानी से सफल हो जाती है। अंत में यही कहूंगा कि मानसून और बीमारियों का रिश्ता पुराना है। बारिश के मौसम में हमें स्वच्छता व पर्सनल हाइजीन का विशेष ध्यान रखना चाहिए और घरों,छत व गली में कहीं पर भी पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। ठेलों से, खुले भोजन आदि को ग्रहण करने से बचना चाहिए। बाहर का पानी भी पीने से बचना चाहिए। पानी को फिल्टर या उबाल कर ही पीना चाहिए। अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए हरी सब्जियां,फल, ड्राई फ्रूट्स, पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पानी, लिक्विड में जूस वगैरह लेना चाहिए। छींकते या खांसते समय हमेशा मुंह और नाक को ढक कर रखना चाहिए। हमें यह चाहिए कि हम मानसून की बारिश में कम से कम भीगें। कोशिश करनी चाहिए कि हमारे कपड़े सूखे हैं।हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारा खाना ताजा, गर्म और अच्छी तरह पका हो। बीमार पड़ने पर हमें स्वयं डाक्टर न बनकर डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए। हमारी थोड़ी सी भी लापरवाही या चूक हमें बारिश के मौसम में बीमार कर सकती है।
(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)