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कोविड 19 महामारी के चलते स्वास्थ्य सेवा पर बोझ बढ़ा : डॉ हर्ष वर्द्धन

दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा 2020 के साथ आयोजित अकाउंटेबलिटी ब्रेकफस्ट का केंद्र बिन्दु कोविड-19 संकट और इसके बाद भी महिला, बाल और किशोर स्वास्थ्य सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा है। द पार्टनरशिप फॉर मैटर्नल, न्यूबोर्न एण्ड चाइल्ड हेल्थ (पीएमएनसीएच), व्हाइट रिबन एलायंस, और ‘डब्ल्यूई’ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस वर्चुअल आयोजन में पूरी दुनिया के 1600 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह ‘लाइव्स इन द बैलेंस’ कोविड-19 शिखर सम्मेलन के परिणाम स्वरूप किया गया और इसमें सरकार से लेकर जमीनी स्तर पर कार्यरत संगठनों की विस्तृत शृंखला शामिल हुई, जिसका मकसद सशक्त लोगों को बदलाव लाने के लिए एकजुट करना और उनसे बदलाव लाने के प्रयास को सफल बनाने की अपील करना था।
न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएनसीएच बोर्ड की अध्यक्ष माननीय हेलेन क्लार्क के नेतृत्व और बीबीसी अफ्रीका की मर्सी जुमा के संचालन में इस आयोजन के तहतय (1) महामारी के मद्देनजर महिलाओं के राजनीतिक नेतृत्व संभालने से सरकारी जिम्मेदारी में अंतर देखने का प्रयास किया गया। (2) महिला, बाल और किशोर स्वास्थ्य सुरक्षा की ईडब्ल्यूईसी ग्लोबल स्ट्रैटजी पर 2020 की प्रगति रिपोर्ट के नए निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए। (3) सामुदायिक सुनवाई के तर्ज पर विशेष सत्र में जीवन के वास्तविक अनुभव साझा करने के लिए महिलाओं और लड़कियों, महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक पैनल और कोविड-19 के खिलाफ अभियान में देश-दुनिया के नेताओं को एकजुट किया गया। (4) पीएमएनसीएच की नई पंचवर्षीय महत्वाकांक्षी रणनीति के तहत तालमेल से कार्य करने के लिए संयुक्त भागीदारी।
न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएनसीएच बोर्ड की अध्यक्ष, माननीय हेलेन क्लार्क ने कहा “यह महत्वपूर्ण आयोजन महिलाओं और युवाओं, डब्ल्यूसीएएच के परिणामों को बेहतर बनाने में लगे स्वास्थ्य प्रचारकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और अन्य नागरिकों के लिए एक सुरक्षित और समावेशी मंच था जिसके जरिये उन्हें निजी अनुभव और दृष्टिकोण साझा करने, सत्ता से सच बताने और बदलाव की नई मुहिम के लिए भागीदारी करने का अवसर मिला।’’
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य क्षेत्र में कोविड-19 के प्रभाव पर माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया, “कोविड-19 का अधिकतम प्रभाव महिलाओं, बच्चों और किशोरों पर महसूस किया गया है। इस पर तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। हम महिलाओं, बच्चों और किशोरों को निरंतर स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए सभी से संवाद में हैं हालांकि कोविड 19 महामारी के चलते हमारी स्वास्थ्य सेवा पर बहुत बोझ बढ़ गया है।’’
उन्होंने बताया, ‘‘हम गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को सेवा देने से मना किया जाना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। साथ ही ग्राहकों की प्रतिक्रिया जानने, शिकायत समाधान और जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए हम ने पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को और मजबूत किया है। हमारा मकसद पूरी तरह से जिम्मेदार और जवाबदेह स्वास्थ्य व्यवस्था कायम करना है जो न केवल बच्चे को जन्म देने का अच्छा अनुभव दे बल्कि मातृ और नवजात मृत्यु की रोकथाम करे यदि किसी हाल में यह मुमकिन हो।”
इस अवसर पर डॉ. वर्धन ने अनिवार्य सेवाएं देने की मनाही पर भारत सरकार की नीति स्पष्ट की। इन सेवाओं में प्रजनन, मातृ नवजात शिशु, बाल और किशोर स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच), तपेदिक, कीमोथेरेपी, डायलेसिस, और कोविड की जो भी स्थिति हो उसके बावजूद बुजुर्गों की स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं। साथ ही, सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क जांच और कोविड का इलाज जारी रहेगा। इसके अतिरिक्त ‘आयुष्मान भारत – पीएम-जेएवाई बीमा पैकेज’ में शामिल बीमारियों के इलाज के साथ कोविड शामिल होगा। आयुष्मान भारत का लाभ सामाजिक आर्थिक रूप से सबसे कमजोर लगभग 500 मिलियन लोगों के लिए है। डॉ. वर्धन ने यह संतोष व्यक्त किया कि सरकार के इन प्रयासों से पीड़ितों को अपनी जेब से इजाल करने का बोझ कम हुआ है।
आयोजन के पीछे हाल में प्रकशित विश्वव्यापी अभियान ‘हर महिला हर बच्चा’ की एक चिंताजनक रिपोर्ट रही। इसमें बताया गया है कि एक दशक की उल्लेखनीय प्रगति जैसे कि पांच साल से कम उम्र में मृत्यु का न्यूनतम स्तर हासिल करना, मातृ मृत्यु दर 35 प्रतिशत कम करना, 25 मिलियन बाल विवाह रोकना और एक अरब बच्चों का टीकाकरण यह सब खोने का खतरा है क्योंकि विद्रोह, जलवायु संकट, और कोविड-19 महामारी के चलते स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक संकट गहरा रहा है।
इस अवसर पर भारतीय युवा वक्ता सुश्री शुक्ति अनंत ने कहा, “इस कठिन दौर में युवा आबादी को सही ध्यान मिलना या बुनियादी तौर पर आवश्यक सेवा मिलना भी कठिन हो सकता है क्योंकि इस आबादी को अब तक स्वस्थ माना गया है जो गलतफहमी है। अक्सर युवाओं की ऊर्जा को किनारे रख दिया जाता या उसकी उपेक्षा की जाती है इसलिए उन्हें उनके अधिकार नहीं मिलते हैं। सही सहभागिता हो तो हम जैसे युवा सरकार को जवाबदेह बना सकते हैं। हमें भी अपनी चिंता व्यक्त करने का अन्य वयस्कों के बराबर अधिकार है और समाज की छवि सुधारने के कार्यक्रमों और नीतियों के बारे में हमें सूचित किया जाना चाहिए। पीएचएमसीएच, एडॉलेसेंट्स जैसे नए प्लैटफॉर्म और कुछ देशो में नई कंस्टिच्युएंसी और एएएचए दिशानिर्देश लागू होने के बावजूद किशोरों को स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भागीदारी के कई औपचारिक विकल्प नहीं हैं।’’
अकाउंटेबलिटी ब्रेकफस्ट का उद्देश्य महिला, बाल और किशोर स्वास्थ्य और अन्य अधिकार पर महामारी के विनाशक प्रभाव के खिलाफ पीएमएनसीएच का अभियान शुरू कर इस संबंध में विचार-विमर्श को कार्यरूप देना है। कोविड-19 महामारी और इसके बाद भी डब्ल्यूसीएएच को मजबूत करने के 24 महीने के कार्यक्रम के तहत सभी भागीदार राजनीतिक प्रतिबद्धता बढ़ाने पर जोर देंगे। इन सक्रिय प्रयासों को दिसंबर, 2020 में होने वाले बैलेंस समिट के दूसरे पीएमएनसीएच लाइव्स के दौरान और तेज किया जाएगा।

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