सामाजिक

साहित्य की कोई सीमा नहीं होती

कलम जब चलती है तो उस कलम के साथ हमारी भावनाएं और हमारे विचार भी साथ-साथ चलते रहते है और लेखन की बात अगर कही जाए तो अगर आप कुछ लिखते हैं और उसे उस समय न पढ़कर कुछ समय बाद पढ़ा जाए तो तब आप समझते है की यह साहित्य या कविता या कोई और चीज जब आप लिख रहे थे तो आपके दिमाग में क्या चल रहा था, कभी-कभी ऐसा लगता है की अपने बहुत अच्छा लगा और कभी लगता है की यह क्या लिख दिया हमने यह कहना था प्रसिद्ध लेखिका भावना सुमाया का जो तीसरे ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल में भाग लेने आई थी। इस अवसर पर उन्होंने कहा की कभी भी मुझे किसी स्कूल या संस्थान से निमंत्रण आता है तो में कभी इंकार नहीं करती क्योंकि बच्चों से हमें बहुत कुछ सिखने को मिलता है। इस अवसर पर चीन दूतावास के परामर्शदाता जहेन जीआक्सिन, इजिप्ट दूतावास के मंत्री मोंगी अल्य बदर, लेखक और कवि सुदीप सेन और फॉर्मर मिनिस्टर आरिफ मोहम्मद खान भी फेस्टिवल की ग्रैंड ओपनिंग पर आए।
इस अवसर पर मारवाह स्टूडियो के निदेशक संदीप मारवाह ने कहा की यह तीसरा ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल है जहाँ बड़े-बड़े लेखक अपने विचारों को रखते है और मेरे ख्याल से दिल्ली एनसीआर में ऐसा पहला फेस्टिवल है जिसमें दुनियाभर से लोग आते है और अपने विचारों से समाज को एक नया आइना दिखाते है। इस अवसर पर जहेन जीआक्सिन ने कहा की भारत ने हमेशा ही दोस्ती को बढ़ावा दिया है और जितने अच्छे साहित्यकार यहाँ की धरती पर हुए है सभी ने दुनिया को एक नया नज़रिया दिया है। मोंगी अल्य बदर ने कहा की यहाँ आकर मुझे बहुत अच्छा लगा और यहाँ के छात्रों में सिखने और सुनने की जिज्ञासा मुझे नजर आती है, आज का पहला दिन ‘डे ऑफ पीस’ के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर सुदीप सेन ने कई कविता सुनाकर छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर कठपुतली डांस, कवि सम्मलेन और छात्रों द्वारा कई रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।

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