एक देशभक्त और जासूस लेकिन तीन अलग-अलग रूप रोमियो-अकबर-वाॅल्टर
फिल्म का नाम : रोमियो-अकबर-वाॅल्टर (रॉ)
फिल्म के कलाकार : जॉन अब्राहम, जैकी श्रॉफ, सिकंदर खेर, सुचित्रा कृष्णामूर्ति, मौनी रॉय आदि।
फिल्म के निर्देशक : रॉबी ग्रेवाल
रेटिंग : 3/5
निर्देशक राॅबी ग्रेवाल के निर्देशन में बनी फिल्म ‘राॅ – रोमियो अकबर वाॅल्टर’ 1971 के भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश के जन्म की पृष्ठभूमि पर बनाई गई है। फिल्म में देशभक्ति है, वैसे भी देशभक्ति से भरपूर फिल्में अब ज़्यादा ही बनने लगी हैं। इस फिल्म में जाॅन तीन अलग-अलग किरदारों यानि रोमियो-अकबर-वाॅल्टर में हैं जो एक जासूस है और अपने देश की रक्षा के लिए दुश्मन देश में जाकर जासूसी करता है। फिल्म कैसी बनी है आइए जानते हैं।
फिल्म की कहानी :
अकबर (जॉन अब्राहम) को पाकिस्तानी अफसर खुदाबख्श (सिकंदर खेर) के हाथों खूब थर्ड डिग्री दिया जाता है और उसके नाखून तक उखाड़ दिए जाते हैं। पाकिस्तान इंटेलिजेंस को अकबर के भारतीय रॉ के जासूस होने का शक है। यहां से फ्लैशबैक में चलती है। ईमानदार और बहादुर रोमियो बैंक में काम करता है। वह बैंक में ही काम करने वाली श्रद्धा (मौनी रॉय) पर फिदा है। वह अपनी मां के साथ रहता है। जब बैंक में डकैती हुई तो उसने डकैतों का जांबाजी से किया लेकिन इस डकैती से उसकी पूरी ज़िदगी ही बदल जाती है। उस रॉबरी के बाद रोमियो को बताया जाता है कि उसे रॉ के चीफ श्रीकांत राय (जैकी श्रॉफ) द्वारा रॉ के एक जासूस के रूप में चुना गया है और अब उसे अकबर मलिक बनकर पाकिस्तान से खुफिया जानकारी लाना है। जासूस के रूप में उसे ट्रेनिंग दी जाती है। पाकिस्तान आकर वह इजहाक अफरीदी (अनिल जॉर्ज) का विश्वास जीतता है और थोड़े ही समय में उसका विश्वसनीय पात्र बन जाता है। वह भारत को पाकितान द्वारा बदलीपुर में होने वाले हमले की योजना की जानकारी देता है। इस खुफिया मिशन पर उसका साथ देता है पाकिस्तानी रघुवीर यादव। सब कुछ ठीक चल रहा होता है। कहानी में ट्विस्ट उस वक्त आता है जब श्रद्धा के पाकिस्तान में डिप्लोमैट के रूप में आने पर खुदाबख्श को सुराग मिलता है, जिससे उसे अकबर पर शक हो जाता है। वह उसे यातना देकर सच उगलवाना चाहता है। आगे क्या होता है, रोमियो से अकबर मल्लिक बना यह रॉ एजेंट वाल्टर कैसे बनता है? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखने की ज़हमत उठानी पड़ेगी।
फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ धीमा है, किरदारों को सेट करने में ज़्यादा वक्त लगाया गया है। यह एक जासूसी फिल्म है लेकिन फिल्म में एक्शन और थ्रिल की कमी दिखाई देती है। फिल्म का दूसरा हिस्सा काफी रोमांचक है। फिल्म को बनाने में काफी रिसर्च किया गया है। फिल्म में बेहतरीन लोकेशन दिखाया गया है। फिल्म के गाने देशभक्ति से भरपूर हैं, वंदे मात्ेरम, बुल्लया और अल्लाह हो अल्लाह गाने आपको पसंद आएंगे।
कलाकारों की अदाकारी की बात करें तो जाॅन अपने तीनों रूपों रोमियो-अकबर-वाॅल्टर में अच्छे लगे हैं, अपने किरदारों को पूरी लगन और जज़्बे से निभाया है। उनके किरदारों में उनकी देशभक्ति साफ नज़र आती है। अपनी कदकाठी के हिसाब से खुदाबख्श के किरदार में सिकंदर खेर का अभिनय शानदार और दमदार है। श्रीकांत राय के रूप में जैकी श्रॉफ का अभिनय अच्छा है। मौनी रॉय का रोल फिल्म में न के बराबर है। इज़हाक अफरीदी के रूप में अनिल जॉर्ज का बेहतरीन काम किया है। रघुवीर यादव का छोटा-सा रोल है लेकिन अच्छा है।
फिल्म क्यों देखें :
फिल्म में देशभक्ति का ज़ज़्बा है। अगर आप इस तरह की फिल्में पसंद करते हैं और जाॅन की एक्टिंग के दिवाने हैं तो यह फिल्म आपके लिए ही है।