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महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध की एक झलक पेश करती है साइक्लोजिकल थ्रिलर फिल्म ‘गेम ओवर’

फिल्म का नाम : गेम ओवर
कलाकार के कलाकार : तापसी पन्नू, विनोदिनी वैद्यनाथन, अनीष कुरूविला, संचना नटराजन, रम्या सुब्राह्यमनियन, पार्वती टी.
फिल्म के निर्देशक : अश्विन सरवनन
फिल्म के निर्माता : वाई नॉट स्टूडियोज, रिलायंस एंटरटेनमेंट
रेटिंग : 2.5/5

फिल्म गेम ओवर अब सिनेमाघरों में लग चुकी है। कुछ सालों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में लगातार इज़ाफा देखने को मिला है। इस फिल्म में भी महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध को ही दिखाया गया है कि किस तरह एक सिरफिरा टैटू का शौक रखने वाली महिलाओं की बर्बर हत्याएं करता है। फिल्म के कुछ सीन आपके रोंगटे खड़े करने वाले हैं।

फिल्म की कहानी :
फिल्म की शुरूआत दिल्ली के निकट स्थित गुरूग्राम से होती है जहां 27 वर्षीय अमुथा-अमृता (संचना नटराजन) नाम की एक लड़की अपने घर में अकेली रहती हैं। लगातार कोई उसपर नज़र रखता है, मौका पाकर कोई उसके घर में घुसता है और प्लास्टिक कवर को इस महिला के चेहरे पर बांध देता है और हाथों को टेप से बांध देता है। आॅक्सीजन न मिलने के कारण वो लड़की एक त्रासदी भरी मौत मर जाती है। वो शक्स इस पर भी नहीं थमता उसके मृत शरीर को कुर्सी पर बिठाकर उसका सिर काट देता है और फुटबाॅल की तरह किक मारकर फुटबाॅल ग्राउंड के गोल में फेंकता है तथा धड़ को आग लगा देता है। फिर दिखाया जाता है घुंघराले बाल वाली लड़की सपना (तापसी) जाॅगिंग करते हुए गुरूग्राम स्थित अपने बंगले में जाती है वहां वो अपनी हाउस मेड कलाअम्मा (विनोदिनी) के साथ अकेली रहती हैं, और गेट पर एक गार्ड अनवर तैनात रहता है। सपना एक वीडियो गेम डिजाइनर है, वो घर से ही अपना काम करती है। साथ ही वो एक वीडियो गेम एडिक्टर होती हैं। सपना एक मानसिक बीमारी से जूझ रही होती हैं कई बार वो अपने अतीत से बाहर आने की कोशिश करती है लेकिन कामयाब नहीं हो पाती जिसकी वजह से अतीत में उनके साथ हुए हादसे की तारीख पास आते ही उसका दम घुटने लगता है और वो एकदम घबरा जाती हैं। वो अपने डाॅ. अनीष कुरूविला को घर पर बुलाती है और अपने डर के बारे में बताती है। एक दिन कहानी में एक नया मोड़ आता है और उसे पता चलता है कि सपना ने जो अपने हाथ पर टैटू बनवाया है वो कोई आम टैटू नहीं बल्कि मेमोरियल टैटू है। इस टैटू की स्याही में किसी के मरे हुए की अस्थियों की राख मिलाई जाती है। सपना पहले ही मानसिक बीमारी से जूझ रही होती है और मेमोहरयल टैटू की वजह से वह बेचैन रहती है। सब चीज़ों से छुटकारा पाने के लिए वो कई बार आत्महत्या की कोशिश करती है। इसी कोशिश में उसके दोनों पैर ज़ख्मी हो जाते हैं और वो वील चेयर पर आ जाती है। एक दिन सपना के हाथ पर बने टैटू की वजह से कोई उसके उपर नज़र रख रहा होता है। आगे क्या होता है? क्या वो संदिग्द्ध सपना को भी मारने मंे कामयाब होता है या नहीं……. यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

फिल्म के निर्देशक अश्विन सरवनन ने फिल्म का निर्देशन कमाल का किया है। उन्होंने दर्शकों के अटेंशन पर कब्ज़ा करने के लिए फिल्म के शुरूआत में ही दिल दहलाने वाला सीन डाला है जिससे दर्शक अपनी सीट से बंधे रहें और उनके मन में यह रहे कि अब आगे क्या होगा। फिल्म की शुरूआत काफी अच्छी है, बीच में कहानी थोड़ी स्लो और बोरिंग है, लेकिन इंटरवल के बाद कहानी फिर रफतार पकड़ती है और एंड तक यह रफ्तार बनी रहती है। एक चीज़ थोड़ा खलती है कि फिल्म में साईकोकिलर के बारे में नहीं बताया गया है।

बात करें एक्टिंग की तो फिल्म के लीड में कोई हीरो नहीं है बल्कि फिल्म के फीमेल लीड के रूप में तापसी ने कमाल की एक्टिंग की है, ऐसा लगता है कि दिन पर दिन उनकी एक्टिंग निखरती जा रही है। हर सीन के भाव काबिले तारीफ हैं। कला अम्मा के किरदार में विनोदिनी की एक्टिंग भी काफी अच्छी है।

फिल्म क्यों देखें? :
यदि आप थ्रिलर फिल्में देखना पसंद करते हैं तो यह फिल्म आपको अच्छी लगेगी।

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